पुरुष वेश्या 09876010894 Guy Sex For ladies In Ludhiana Male Sex For ladies In Ludhiana Male Sex For Women In Ludhiana
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मैं राज किशोर आप सभी ने मेरी पहली कहानी ‘चूत की सील टूटने का अहसास’ पढ़ी और मेरा उत्साह भी बढ़ाया। मुझे बहुत खुशी हुई..
मैं आप सभी पाठक पाठिकाओं का शुक्रगुज़ार हूँ।
इसी के साथ मैं सबसे ज़्यादा धन्यवाद अन्तर्वासना का करना चाहता हूँ जिसके माध्यम से मेरी कहानी आप सभी के सामने प्रस्तुत हो सकी।
इसी के साथ मैं सबसे ज़्यादा धन्यवाद अन्तर्वासना का करना चाहता हूँ जिसके माध्यम से मेरी कहानी आप सभी के सामने प्रस्तुत हो सकी।
अब मैं आपको अपनी नई कहानी सुनाता हूँ जो कि एक ऐसी शादीशुदा महिला की है जिसके बच्चे नहीं होते थे।
दोस्तो, मैं अपनी किसी भी कहानी में महिला का नाम सही नहीं लिखता हूँ.. क्योंकि नाम आदि गुप्त रखना ही अच्छा रहता है।
सीमा की ईमेल मैंने जैसे ही खोली मेरी आँख चमक उठीं.. क्योंकि जो पता और नम्बर लिखा था.. वो हमारे ही शहर फतेहाबाद हरियाणा.. का था।
सीमा की ईमेल मैंने जैसे ही खोली मेरी आँख चमक उठीं.. क्योंकि जो पता और नम्बर लिखा था.. वो हमारे ही शहर फतेहाबाद हरियाणा.. का था।
ईमेल में जो लिखा था वो इस प्रकार था- मिस्टर राज.. प्लीज़ मेरी मदद करो.. मैं बहुत परेशान हूँ.. मेरी शादी को 3 साल हो गए है.. और अब तक मुझे कोई बच्चा नहीं हुआ है.. मुझे आपसे मसाज़ नहीं.. बल्कि सम्भोग करके.. एक बच्चा चाहिए.. मैं आप को 20000 रुपए दूँगी.. 10000 पहले और बाकी बच्चा ठहर जाने के बाद.. आप प्लीज़ कॉल जरूर कीजिएगा.. मैं अपना नम्बर नीचे लिख रही हूँ।
मैंने नीचे लिखे नम्बर पर उसे तुरंत फ़ोन लगाया.. उधर से एक सुरीली आवाज़ ने स्वागत किया- नमस्ते राज.. कैसे हो?
मैंने पूछा- आपको कैसे पता कि ये मेरा ही नम्बर है?
उसने बताया- जिसने आपकी ईमेल आईडी बताई है.. उसी ने नम्बर भी बताया है।
मैंने पूछा- आपको कैसे पता कि ये मेरा ही नम्बर है?
उसने बताया- जिसने आपकी ईमेल आईडी बताई है.. उसी ने नम्बर भी बताया है।
खैर.. कुछ देर बातें हुईं और फिर हमारा एग्रिमेंट हुआ। मैंने उसे अपना ख़ाता नम्बर दिया और उसके मासिक धर्म के हिसाब से हमारा मिलना एक होटल में तय हो गया।
आख़िर वो दिन भी आ ही गया और मैं तैयार होकर होटल पहुँच गया।
मैंने कॉल की तो उसने मुझे कमरा नम्बर 203 में आने को बोला और ये भी बताया कि उसने अपना नाम सुनंदा और मेरा नरेश लिखवाया है और हम पति-पत्नी हैं।
मैंने कॉल की तो उसने मुझे कमरा नम्बर 203 में आने को बोला और ये भी बताया कि उसने अपना नाम सुनंदा और मेरा नरेश लिखवाया है और हम पति-पत्नी हैं।
मैंने रिसेप्शन पर जाकर पता किया तो मुझे कमरे के बारे में बता दिया गया।
मैंने कमरे के दरवाजे पर दस्तक दी तो आवाज आई- गेट खुला है.. आ जाओ..
मैंने कमरे के दरवाजे पर दस्तक दी तो आवाज आई- गेट खुला है.. आ जाओ..
मैं अन्दर गया तो देखता ही रह गया.. वो काली साड़ी में क्या मस्त माल लग रही थी.. उसका गोरा बदन.. संगमरमर सा.. गुलाब की पंखुड़ियों की तरह पतले होंठ..
आह्ह.. मैं तो जैसे दीवाना हो गया उसका..
आह्ह.. मैं तो जैसे दीवाना हो गया उसका..
मेरे जी में तो आया कि अभी पकड़ कर चोद दूं.. पर अपने आप पर काबू करके मैंने गेट बंद किया और बिस्तर पर बैठ गया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो इठला कर बोली- अगर देखकर जी भर गया हो तो शुरू करें..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो इठला कर बोली- अगर देखकर जी भर गया हो तो शुरू करें..
मुझे लगा कि इसे जल्दी है तो मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए और मस्ती से चूसने लगा, वो भी मेरा अच्छे से साथ दे रही थी, मेरे हाथ उसके कंधे को मजबूती से पकड़े हुए थे और मैंने अपना मुँह उसके मम्मों पर रख दिया।
उसके ब्लाउज के ऊपर से ही जैसे मम्मों को खाने को बेताब हुआ.. उसने कहा- रूको.. कपड़े उतार देते हैं.. नहीं तो खराब हो जाएँगे..
मुझे ऐसे लगा जैसे किसी ने भूखे के सामने से खाने की थाली खींच ली हो।
खैर.. मैं अलग हो गया और हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े उतार दिए।
मुझे ऐसे लगा जैसे किसी ने भूखे के सामने से खाने की थाली खींच ली हो।
खैर.. मैं अलग हो गया और हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े उतार दिए।
मेरा 8″ लंबा लण्ड पूरा लोहे की रॉड बना हुआ था और उसका तो कहना ही क्या.. उसके मम्मे अपने घमंड में आसमान को तने हुए.. उसकी मदभरी आँखों में दहकते हुए सेक्स के शोले और चूत से टपकते हुए चुदास भरे आँसू.. साफ बयान कर रहे थे कि अब और देर नहीं सहन कर सकते।
मैं अभी ये सोच ही रहा था कि वो झपट कर मेरी तरफ आई और उसने मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लिया।
एक ही बार में लौड़े को गले तक भरने के बाद वो उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी।
मेरा तो दर्द के मारे बुरा हाल हो गया.. इतनी चुदासी औरत मैंने कभी नहीं देखी थी।
एक ही बार में लौड़े को गले तक भरने के बाद वो उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी।
मेरा तो दर्द के मारे बुरा हाल हो गया.. इतनी चुदासी औरत मैंने कभी नहीं देखी थी।
मैंने उसे पकड़ कर लिटा दिया और 69 की अवस्था में आकर उसकी चूत को अपने मुँह में भर लिया। वो कसमसाने लगी.. राज कुछ भी करो आज मुझे बच्चा चाहिए..
मुझे भी अपने ऊपर पूरा भरोसा था क्योंकि मेरे शुक्राणु बहुत पॉवरफुल हैं।
मैंने भी बोला- आज के बाद बच्चे की खातिर चुदाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी मेरी जान.. इतना सुनते ही वो बुरी तरह अकड़ गई और उसने तेज़ी से मेरे मुँह पर पानी छोड़ दिया।
मैंने भी बोला- आज के बाद बच्चे की खातिर चुदाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी मेरी जान.. इतना सुनते ही वो बुरी तरह अकड़ गई और उसने तेज़ी से मेरे मुँह पर पानी छोड़ दिया।
मेरा पूरा मुँह उसके पानी से सन गया।
वो निढाल हो कर गिर गई उसके मुँह से मेरा लवड़ा निकल गया।
मेरा लौड़ा अभी खड़ा था इसलिए मैं उठ कर उसकी दोनों टाँगों के बीच में आ गया और अपने फनफनाते लण्ड का टोपा उसकी चूत पर रखकर एक ज़ोरदार झटका मार दिया।
अभी सिर्फ टोपा ही चूत के अन्दर गया था कि उसकी चीख निकलते हुए बची.. क्योंकि मैंने उसका मुँह अपने मुँह में पहले ही भर लिया था।
उसकी आँखों से आँसू छलक पड़े.. मैंने देर करना मुनासिब नहीं समझा और ज़ोर का एक और धक्का लगा दिया।
इस बार पूरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ बच्चेदानी के मुँह से जा टकराया और वो उछल पड़ी।
उसकी आँखों से आँसू छलक पड़े.. मैंने देर करना मुनासिब नहीं समझा और ज़ोर का एक और धक्का लगा दिया।
इस बार पूरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ बच्चेदानी के मुँह से जा टकराया और वो उछल पड़ी।
अब मैं कुछ देर रुक कर लौड़े को चूत में जगह बनाने देने लगा।
कुछ ही पलों बाद उसने अपने चूतड़ों में हरकत की.. फिर क्या था मैंने जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी।
कुछ ही पलों बाद उसने अपने चूतड़ों में हरकत की.. फिर क्या था मैंने जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी।
मेरी लगातार.. बिना रुके 30 मिनट की तूफानी चुदाई में वो कितनी बार झड़ी थी इसका अंदाज़ा तो नहीं है.. पर जब मेरा पानी छूटा.. तो मैंने अपना लण्ड चूत की जड़ तक घुसेड़ कर उसके बच्चेदानी के मुँह पर लगाकर.. अपना सारा वीर्य उसके अन्दर भर दिया।
कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड बाहर खींच लिया और उसे एक घंटा पलंग से ना उठने की सलाह दी और पूरे महीने सावधानी बरतने को बोला।
सारा दिन होटल में गपियाने के बाद शाम को हम अपने-अपने घर चले गए।
करीब 40 दिन बाद उसका फ़ोन आया कि हमारी मेहनत सफल हुई.. मैंने आपके खाते में बाकी की रकम जमा कर दी है.. अब आप इस बात का ध्यान रखना कि हम एक-दूसरे को नहीं जानते हैं।
मैंने कहा- ये सब आपको समझाने की ज़रूरत नहीं है.. मेरा काम ही लोगों की ‘सेवा’ करना है..
फिर उसके बाद हम कभी नहीं मिले।
कैसी लगी दोस्तो यह सच्ची आपबीती.. मेरे उत्साह के लिए ईमेल ज़रूर करना.. ताकि मैं आप सबसे अपनी और घटनाएं साझा कर सकूँ।
मैंने कहा- ये सब आपको समझाने की ज़रूरत नहीं है.. मेरा काम ही लोगों की ‘सेवा’ करना है..
फिर उसके बाद हम कभी नहीं मिले।
कैसी लगी दोस्तो यह सच्ची आपबीती.. मेरे उत्साह के लिए ईमेल ज़रूर करना.. ताकि मैं आप सबसे अपनी और घटनाएं साझा कर सकूँ।
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